2023 Shravan Somwar Vrat Katha Hindi PDF | श्रावण सोमवार व्रत कथा जरूर पढ़ें पूरी होगी मनचाही मुराद

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2023 Shravan Somwar Vrat Katha Hindi PDF
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Shravan Somwar Vrat Katha Hindi PDF | सावन सोमवार व्रत कथा, व्रत विधि, नियम, कब से शुरू, सावन के सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो इस कथा को पढ़ना ना भूलें

सावन के सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो इस कथा को पढ़ना ना भूलें

sawan somvar vrat katha
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Shravan Somwar Vrat Katha Hindi :- एक साहूकार था जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था उसके पास धन-धान्य किसी भी चीज की कमी नहीं थी परंतु उसकी कोई संतान नहीं थी. और वह इस कामना को लेकर रोज भगवान शिव शंकर के पास जाकर दीपक चलाता था उसे इस भक्ति भाव को देखकर एक दिन माता पार्वती ने शिवजी से कहा कि हे प्रभु यह साहूकार आपका बहुत बड़ा भक्त है इसको किसी बात का कष्ट है तो आप इसे अवश्य दूर करना चाहिए.

शिवजी भोले की है पार्वती इस साहूकार के पास पुत्र नहीं है इसलिए यह दुखी रहता है. फिर माता पार्वती कहती हैं कि हे ईश्वर कृपा करके इसे पुत्र का वरदान दे दीजिए तब भोलेनाथ ने कहा कि पार्वती साहू के भाग्य में पुत्र का योग नहीं है ऐसे में अगर इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मिल भी गया तो वह केवल 12 वर्ष की आयु तक ही जीवित रहेगा.

यह सुनने के बाद माता पार्वती ने कहा कि  हे प्रभु आपको इस साहूकार को पुत्र का वरदान देना ही होगा नहीं तो भक्त क्यों आपकी पूजा सेवा करेंगे. माता पार्वती के बार बार कहने पर भोलेनाथ ने साहूकार को पुत्र का वरदान दे दिया लेकिन यह भी कहा कि यह केवल 12 वर्ष तक जीवित रहेगा.

Shravan Somwar Vrat Katha Hindi

साहूकार यह सारी बातें सुन रहा था इसलिए उसको ना तो खुशी हुई ना और ना ही दु:ख हुआ. साहूकार पहले की तरह पूजा अर्चना में लगा रहा. उधर सेठानी गर्भवती हुई और नौवें महीने में सुंदर से बालक की प्राप्ति हुई परिवार में बहुत ही हर्षोल्लास था. मगर साहूकार ने 12 वर्ष की आयु का जिक्र किसी से भी नहीं कहा.

जब बालक 11 वर्ष की आयु हो गया तो 1 दिन साहूकार की सेठानी ने बालक के विवाह के लिए कहा. तो साहूकार ने कहा कि वह अभी बालक को पढ़ने के लिए काशी भेजेगा इसके बाद उसमें बालक के मामा जी को बुलाया और कहा कि तुम इससे काशी पढ़ने के लिए ले जाओ और रास्ते में जिस भी स्थान पर रुकना पड़े वहां यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए आगे जाना है.

उन्होंने इसी तरह करते हुए आगे जा रहे थे कि रास्ते में एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था. जिससे उसका विवाह होना था वह एक आंख से काना था. तो उसके पिता ने जब अतिसुंदर साहूकार के बेटे को देखा तो उसके मन में ख्याल आया कि क्यों ना इसे ही घोड़ी पर बिठाकर शादी के लिए सारे कार्य संपन्न करा लिए जाए, तो उन्होंने मामा से बात की और कहा कि इसके बदले में वह खूब सारा धन देगा वह भी राजी हो गया.

Shravan Somwar Vrat Katha Hindi

इसके बाद  साहूकार का बेटा विवाह की मंडप पर बैठ गया और जब विवाह कार्य संपन्न हुआ तो जाने से पहले उस राजकुमारी की चुनरी के पल्लू पर लिखा कि तेरा विवाह तो मेरे साथ हुआ लेकिन जिस राजकुमार के साथ भेजेंगे वह तो एक आंख से काना है इसके बाद वह अपने मामा के साथ काशी चला गया उधर जब राजकुमार ने अपने चुनरी पर यह लिखा हुआ पाया तो उसने राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया तो राजा ने भी अपनी पुत्री को बारात के साथ विदा नहीं किया बारात वापस लौट कर उधर मामा और भांजे काशी पहुंच गए थे.

Shravan Somwar Vrat Katha Hindi  2023

एक दिन जब मामा ने यज्ञ रचा रखा था और भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर जाकर देखा तो भांजे के प्राण निकल चुके थे और बहुत परेशान हुए लेकिन सोचा कि अभी रोना पीटना मचाया तो सभी ब्रह्मण चले जाएंगे और यज्ञ का कार्य अधूरा रह जाएगा

Shravan Somwar Vrat Katha Hindi  2024

जब यज्ञ संपन्न हुआ तो मामा ने रोना पीटना शुरू किया उसी समय माता पार्वती उधर से जा रहे थे. माता पार्वती ने शिव जी से पूछा हे प्रभु यह कौन रो रहा है तभी उन्हें पता चला कि यह भोलेनाथ के आशीर्वाद से दिया हुआ जन्मा साहूकार का पुत्र है.

तब माता पार्वती कहते हैं हे प्रभु इसे जीवित कर दें नहीं तो रो-रोकर इसके माता पिता के प्राण निकल जाएंगे तब भोलेनाथ ने कहा हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी तो वह भाग चुका लेकिन मां के बार-बार आग्रह करने पर शिव ने उसे जीवित कर दिया लड़का ओम नमः शिवाय करते हुए जी उठा और मामा भांजे दोनों ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और अपनी नगरी की ओर लौट चलें.

Shravan Somwar Vrat Katha Hindi  2025

रास्ते में वही नगर पड़ा और राजकुमारी ने उन्होंने पहचान लिया तब राजा ने राजकुमारी को साहूकार के बेटे के साथ बहुत सारे धन धान्य ले साथ विदा किया

उधर साहूकार और उसके पत्नी छत पर बैठे थे उन्होंने यह प्राण कर रखा था कि यदि उनका पुत्र सकुशल न लौटा तो वह छत से कूदकर अपनी प्राण त्याग देंगे तभी लड़के के मामा ने आकर साहूकार के बेटे और बहू के आने का समाचार सुनाया लेकिन वह नहीं माने तो मामा ने शपथ कर कहा तब तो दोनों को विश्वास हुआ . दोनों ने अपने बेटे बहू का स्वागत किया उसी साहूकार को सपने में शिव जी ने दर्शन दिया और कहा कि तुम्हारे पूजन से मैं प्रसन्न हुआ. इस प्रकार जो भी व्यक्ति इस कथा को पड़ेगा रिया सुनने का उसके समस्त दुख दूर हो जाएंगे और मनोवांछित के सभी कामना पूर्ति होंगे

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